Monday, March 7, 2011

Happy Woman's Day

ईश्वर की रची सर्वाधिक सुन्दर कृति है 'स्त्री ' प्रकृति ने उसे कोमल अवश्य बनाया है ,पर उसने परम्पराओं से बाहर निकलकर मील के पत्थर कायम किये है ,लेकिन अपनी ख़ास पहचान बनाने के बाद भी कदम कदम पर उसके लिए चुनोतियाँ है ,कभी वो इनसे उबरकर पंख लगाकर उडती है तो कभी संघर्ष में उलझ जाती है ..
स्त्री को हमेशा सौंदर्य के मापदंडों में ही तोला जाता है ,वह कितनी भी अकल्मन्द या टेलेंटेड क्यों हो ?पुरुष उसके देहिक सौंदर्य से ही उसे परखते है ...कभी वो उसके देहिक सौंदर्य का प्यार के नाम पर फायदा उठाते है तो कही उसे हवस के तराजू में तोला जाता है ...बलात्कार का शिकार बन कभी आत्महत्या करतीं है तो कभी वो बिन ब्याही माँ बन जाती है ....एक तरफ तो गंगा मैया है जो परोपकार के लिए बहती है तो दूसरी और धर्म का नाम लेकर हमें बंधा जाता है ,आखिर क्यूँ ?एक तरफ तो हमे फलदार वृक्ष कहा जाता है तो दूसरी तरफ हम पर पत्थर बरसाए जाते है ,आखिर क्यूँ ?
हर युग में औरत को त्याग और समर्पण कि देवी माना जाता है... कभी राधा बन अपना प्रेम निभाती है तो कभी मीरा बन अपने कृष्ण को पुजती है ..कभी पन्ना बन अपने पुत्र का त्याग कर जाती है
युग
बदले ,धर्म बदले पर औरत कि कहानी नहीं बदली .....हर युग में अगर औरत अपना फर्ज निभा सकती है तो पुरुष क्यूँ नहीं ?वो क्यूँ आज अपने कर्मों को मज़बूरी का नाम देकर पीछे हट जाते है ..क्यां औरत को सम्मान से जीने का हक नहीं ?? औरत चाहे किसी भी धर्म ,जाति और समाज की हो ,आज भी उसकी कहानी " आँचल " में दूध और आँखों में पानी ...' से आगे नहीं बढ़ पायी है ......
आज मैं हर उस औरत की आवाज बनना चाहती हु ,जो जीना चाहती है , लेकिन हमेशा उन्हें अपनी हसरतों को दबाकर हालात से समझौता करना पड़ता है ,मैं पूछना चाहती हु कि हर ख़ुशी कि कीमत सिर्फ औरत को ही क्यों चुकानी पड़ती है ? हर दौर में त्याग औरत को ही क्यूँ करना पड़ता है ?
कभी पति के मान सम्मान के नाम पर औरत घुटती है ,तो कभी उसकी हर हसरत को नियम कायदों के बोझ तले दबा दिया जाता है ,तो कभी परम्पराओं के आडम्बर उसकी राह रोक लेते है .रीति रिवाज औरत की बेड़ियाँ बन गए है ,आज भी उसे खोख में मारा जाते है ,आखिर क्यूँ ?
मैं यही कहना चाहूंगी कि औरत अपने स्वाभिमान और सम्मान के साथ समझौता किये बिना कामयाबी हासिल करे .धिक्कार है ऐसे लोगों पर जो बेटियों को पैदा होने से पहले ही ख़त्म करते है ,वे लोग यह क्यूँ भूल जाते है कि उन्होंने भी एक माँ के पेट जन्म लिया है .....
स्त्री सेवा को अपना अधिकार समझती है, इसलिए वह देवी है ,वह त्याग करना जानती है इसलिए सम्राज्ञी है ,दुनिया उसके वात्सल्यमय आँचल में स्थान पा सकती है इसलिए वह जगन्माता है...

2 comments:

  1. apne kaha tha na ...hindi me likhne ki ek koshish thi meri ye ....apke comment ne likhne ka haunsla de diya ...:)

    shukriya :)

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