प्रीत पिया की मुझे जग से प्यारी
दुनिया में सबसे जो निराली
कान्हा संग मैंने प्रीत लगाई
वरदान सुहागन का ले आई
करना कृपा ए ईश्वर मुझ पर
चरणों में उनके रहूँ पूर्ण समर्पण
खुद मिट कर भी अपनी प्रीत निभाऊ
प्रेम पिया का अमर कर जाऊ
चंचल ,बचपन सा मन है उसका
प्रीत निभा लूँ ,ममता भी अपनी
बस उसके लिए जीती ही जाऊ
उत्सव आज मेरा प्यारा है ये
रक्तिम लालिमा लिए हुए जो
रक्तिम लालिमा लिए हुए जो
चाँद करवा चौथ का आया ये है
चरण पिया संसार है मेरा
शोर्य ,यश ,दीर्घायु उनकी
चाँद मेरा जो पावन प्रिय मेरा
आज में तुझसे कुछ ख़ास भी मांगू
दाग चाँद पे लगा भले हो
सुन्दरता का उसकी कोई मोल नही है
मेरे लिए वही मेरा दर्पण
बिन उसके जग मेरा एक सूना आँगन
करवे की रात मैं व्रत तो खोलू
पर ग़ुम है आज मेरा चाँद ही कंहीं
इधर उधर हर और मैं देखू
छिप कर करता अठखेलिया अपनी
मन मोहन मेरा कान्हा भी वो
मरुँ सुहागन वर देना मुझको
छिप गया आज चंदा मेरा कंहीं
व्रत भी मेरा रहा अधूरा
हो जिस भी जहां में चाँद अब मेरा
चमक से अपनी जग करे वो रोशन
मेरे चाँद की खोयी मुस्कान लौटाना
मेरे व्रत का फल माँ मुझे दे जाना
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