तूने खुद से मुझे जुदा किया है
अहसासों को भी तू जुदा कर दे
सिर्फ एक रहम तू कर दे मुझ पर
मोहब्बत को भी मेरी तू फना कर दे
न सोच मेरे बारे में अब तू
दिल तुझसे मेरा जुदा नहीं है
काँप जाती है रूह मेरी
आहट तेरी जब भी होती है
नफरत से विदा किया तुझे मैंने
ये जान मेरी अब भी रोत़ी है
कसूर जब खुदा का ही तो
परवान क्यों सिर्फ मोहब्बत होती है
तबाह इश्क में हो जाती है
फिर भी हर पल नफरत सहती है
जीने दे इस रंजिश में मुझको
जुदा खुदसे तू करदे मुझको
आंसू भी रुकते नही अब मेरे
सिमट रही अब है जिंदगानी
कैसे पार लगेगी तुफानो में
मुस्कान तेरी तनहा है जग में
तू पहुँच चुका है मंजिल पे अपनी
मुझे खोजनी है राह अनजानी
फ़र्ज़ निभाने दे तू मुझको
क़र्ज़ तेरा चुकाने दे मुझको
सिर्फ एक रहम तू कर दे मुझ पर
यादों से तेरी मिटा दे मुझको
सिर्फ एक रहम तू कर दे मुझ पर
उन अहसासों से अपने जुदा कर मुझको
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